شاعر: قتیل ؔ شفائی ۔۔۔ فلم : وہ تیرا نام تھا (2004) <br /> <br />جس کی جھنکار میں دل کا آرام تھا وہ تیرا نام تھا <br />میرے ہونٹوں پہ رقصاں جو اک نام تھا وہ تیرا نام تھا <br /> <br />تہمتیں مجھ پہ آتی رہی ہیں کئی ایک سے اک نئی <br />خوبصورت مگر جو اک الزام تھا وہ تیرا نام تھا <br /> <br />دوست جتنے تھے نا آشنا ہو گئے پارسا ہو گئے <br />جو میرے ساتھ رسوا سرِ عام تھا وہ تیرا نام تھا <br /> <br />صبح سے شام تک جو میرے پاس تھا وہ تیری آس تھی <br />شام کے بعد جو کچھ لبِ بام تھا وہ تیرا نام تھا <br /> <br />تیرے ہی نام سے ہے قتیلؔ آج بھی شاعری کا ولی <br />اُس کے شعروں میں کل بھی جو الہام تھا وہ تیرا نام تھا <br /> <br />शायर: क़तील शिफ़ाई ।।। फ़िल्म : वो तेरा नाम था (2004( <br /> <br />जिस की झनकार में दिल का आराम था वो तेरा नाम था <br />मेरे होंटों पे रक़्सां जो इक नाम था वो तेरा नाम था <br /> <br />तहमतें मुझ पे आती रही हैं कई एक से इक नई <br />ख़ूबसूरत मगर जो इक इल्ज़ाम था वो तेरा नाम था <br /> <br />दोस्त जितने थे ना आश्ना हो गए पार्सा हो गए <br />जो मेरे साथ रुसवा सर-ए-आम था वो तेरा नाम था <br /> <br />सुबह से शाम तक जो मेरे पास था वो तेरी आस थी <br />शाम के बाद जो कुछ लब-ए-बाम था वो तेरा नाम था <br /> <br />तेरे ही नाम से है क़तील आज भी शायरी का वली <br />इस के शेअरों में कल भी जो इलहाम था वो तेरा नाम था