बहुत बड़ी शिक्षा देती है ये कथा. सुन्दर देवालय और बड़े बड़े भवन बना लेने से कुछ नहीं होता. <br /> <br />महत्वपूर्ण ये होता है के ऐसी संस्थाओं का संचालन किस प्रकार के लोग करते हैं. देवालय पुजारी के व्यवहार से, विद्यालय शिक्षकों के व्यवहार और ज्ञान से, व्यापार ग्राहक और व्यापारी के बीच के संबंधों से चलते हैं. <br /> <br />हमें अपने धन, रूप, ख्याति, बड़े नाम से ऊपर उठकर लोगों से विनम्र व्यव्हार करना चाहिए.