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Garhwali Poem By Pardeep Rawat "Khuded"

2017-05-12 34 Dailymotion

Garhwali Poem By Pardeep Rawat Khudedham bhi dekhda jara <br /> <br />कब तकै लुट्दा तुम ये पहाड़ तै, <br />हम बी देखदा जरा ! <br />कब तकै फोड़दा तुम ये गढ़वाल तै, <br />हम बी देखदा जरा ! <br />तुम जित्दा या यू पाड़ जितदू, <br />हम बी देखदा जरा ! <br /> <br />कब तकै निचोड़ादा तुम नदी नयार तै, <br />हम बी देखदा जरा ! <br />कब तकै पिचोंड़दा तुम यीं मौयार ते, <br />हम बी देखदा जरा ! <br />नयार नीचड़ोंदी, या तुम पिचोड़ेन्दा, <br />हम बी देखदा जरा ! <br /> <br />कब तकै मोरण देंदा स्वीली ते तुम <br />पीडान अस्पतालै फैड़ीमा, <br />हम बी देखदा जरा ! <br />कब तकै बिकण देंदा तुम <br />डॉक्टरुं कि पोस्टिंग रुप्यों कि थैली मा <br />हम बी देखदा जरा ! <br />स्वीली की पीड़ा जितदी या <br />तुमारी बणायी क्रीड़ा जितदी <br />हम बी देखदा जरा ! <br /> <br />कब तकै थामी सकदा तुम, <br />यू मनख्यूं का उमाळ ते, <br />हम बी देखदा जरा ! <br />कब तकै बंधे सकदा तुम <br />हम बी देखदा जरा ! <br />भाप बणी ऊ उमळदन, <br />या तुमते फुक्दान, <br />हम बी देखदा जरा ! <br /> <br /> <br />कब तकै झूठा वादों कि थपकी मा, <br />हिमपुत्र ते सुनींद राख्दा तुम, <br />कब तकै की आपदा जाळमा फंसे की निश्चिंत रैंदा तुम, <br />हम बी देखदा जरा ! <br /> <br />अपड़ा सवालू ते लेकी या जनता <br />सड़क्यूँ मा आंदी की नि आंदी, <br />हम बी देखदा जरा ! <br />पुरणा क्रांतिकारयूं का किस्सा सुणी, <br />क्वी न क्वी नौजवान तपी आग कन नि होलू बणू <br />हम बी देखदा जरा ! <br />धीरज रख्या जवान ते,

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