अयोध्या विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई एक नए नाटकीय ट्विस्ट के साथ शुरू हुई । 68 साल से अयोध्या की विवादित ज़मीन पर मालिकाना हक जता रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस केस की सुनवाई संविधान पीठ को सौंप दी जाए । पूरा देश जिस मुकदमे में जल्द फैसला सुनना चाहता है, उस मामले के प्रमुख पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने तो अचानक ये मांग भी कर दी कि सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव तक टाल दी जाए ।<br /><br />सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल की दलील थी कि अयोध्या विवाद पर सुनवाई का असर 2019 के आम चुनाव पर हो सकता है, इसलिए अदालत जुलाई 2019 के बाद सुनवाई करे । सुनवाई टालने की एक और दलील ये दी गई कि अभी तक मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों का अनुवाद नहीं हो पाया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दलीलें खारिज कर दीं । अदालत ने साफ कर दिया कि मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच ही करेगी । 8 फरवरी को अगली सुनवाई होगी, तब तक हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष मिल-बैठकर देख लें कि कौन से दस्तावेज दाखिल हुए हैं और कौन से नहीं ।<br /><br />सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या विवाद में एक और अजूबा हुआ । ज़मीन के झगड़े में तीन पार्टी पहले से थी । फिर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने खुद को बाबरी मस्जिद का असली वारिस बताकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी । आज 32 लोगों का एक समूह भी अपनी अर्जी के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया । इन 32 लोगों में फिल्मकार श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन, पत्रकार ओम थानवी, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, जॉन दयाल और अरुणा रॉय जैसी हस्तियां शामिल हैं, जिन्होंने खुद को जागरूक आम नागरिक बताया है और मांग की है कि उनकी बात भी सुनी जाए । दिलचस्प बात ये है कि जिन 32 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, उनमें से कोई भी ना तो पक्षकार है और ना ही मंदिर-मस्जिद आंदोलन से जुड़ा है । ये लोग चाहते हैं कि अयोध्या में विवादित ज़मीन किसी गैर धार्मिक जनहित के काम के लिए दे दी जाए.<br /><br />For More Information visit us: http://www.inkhabar.com/<br />Connect with us on Social platform at https://www.facebook.com/Inkhabar<br />Connect with us on Social platform at<br />https://twitter.com/Inkhabar<br />Subscribe to our YouTube channel: https://www.youtube.com/user/itvnewsindia