बिहार में जंगल राज का खात्मा करने के नाम पर नीतीश कुमार और बंगाल को लाल आतंक से मुक्ति दिलाने के नाम पर ममता बनर्जी ने लोगों का भरोसा जीता था. अब ये दोनों राज्य हिंसा की राजनीति की चपेट में हैं. रामनवमी के दिन से ही बंगाल और बिहार के कई जिलों में हिंसा की आग भड़की हुई है. पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, पश्चिम मिदनापुर और बर्धमान जिलों में रामनवमी के दिन हिंदूवादी संगठनों के जुलूस के दौरान हिंसा हुई. पुरुलिया में तो बमबाजी भी हुई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब बंगाल की हिंसा पर रिपोर्ट तलब की है. रामनवमी के दिन से ही बिहार के औरंगाबाद, समस्तीपुर, भागलपुर और जमुई में भी बवाल चल रहा है. आगजनी, पथराव और खून-खराबे के बाद तनाव बढ़ा हुआ है. धारा-144 के दम पर हालात पर काबू पाने की कोशिश हो रही है और सत्ता के गलियारों में राजनीतिक रोटियां सेंकने की कवायद भी जारी है. बिहार में हिंसा के लिए जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार विपक्ष के निशाने पर है. बिहार में बवाल की शुरुआत नवरात्र के पहले ही दिन हो गई थी. केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत ने हिंदू नववर्ष पर भागलपुर में जुलूस निकाला, जिसमें हिंसा हुई. वारंट जारी होने के बाद भी अर्जित की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. जबकि इस दौरान अर्जित शाश्वत रामनवमी के दिन बेफिक्र होकर हाथों में तलवार लेकर जुलूस की अगुवाई करते देखे गए. अब बिहार में इस बात पर राजनीति गरमाई हुई है कि अर्जित शाश्वत पर नीतीश सरकार मेहरबान क्यों है? विपक्ष का आरोप है कि अगर भागलपुर हिंसा मामले में सख्ती बरती गई होती, तो रामनवमी के दिन से औरंगाबाद, समस्तीपुर और जमुई में बवाल नहीं होता.<br /><br />For More Information visit us: http://www.inkhabar.com/<br />Connect with us on Social platform at https://www.facebook.com/Inkhabar<br />Connect with us on Social platform at<br />https://twitter.com/Inkhabar<br />Subscribe to our YouTube channel: https://www.youtube.com/user/itvnewsindia