Surprise Me!

अहंकार और कर्म बंधन

2019-03-21 4 Dailymotion

शरीर से जो स्थूल कर्म करते है वह डिस्चार्ज परिणाम और प्रारब्ध है। वह कर्म बंधन का करण नहीं है। अहंकार करने से हम करता होते है और इसी से कर्म बांधते है। जो करता होता है उसीको भोगता होना पड़ता है।इस ब्रह्माण्ड में अनंत आत्मा है और अनंत परमाणु है, जो एक दुसरे के संपर्क में है. वैज्ञानिक नियमो के अनुसार जैसे दो तत्वों के मिलने से तीसरा भास्यमान परिणाम खड़ा हो जाता है, उसी तरह से जड़ और चेतन तत्वों के मिश्रण से अहंकार खड़ा हो जाता है। अहंकार को रोंग बिलीफ हो जाती है और वह जड़ और चेतन तत्वों को मैं हूँ ऐसा मानता है। वह खुद को करता मानता है और उसी से कर्म बांध लेता है।<br /><br />To know more please click on:-<br />English: https://www.dadabhagwan.org/path-to-happiness/spiritual-science/the-science-of-karma/<br /><br />Gujarati: https://www.dadabhagwan.in/path-to-happiness/spiritual-science/the-science-of-karma/<br /><br />Hindi: https://hindi.dadabhagwan.org/path-to-happiness/spiritual-science/the-science-of-karma/

Buy Now on CodeCanyon