womens-playing-neja-many-villages-pratapgarh-district<br /><br />प्रतापगढ़। बचाओ...बचाओ...मुझे मेरी बीवी से बचाओ। अरे कोई तो बचाओ...मेरी बहू से बचाओ, भाभीजी, मुझे तो छोड़ दो। अरे बाप रे सास आ रही है... भागो, भागो। आज यह छोड़ने वाली नहीं है। जी हां, ये लठ्ठमार औरतें हैं। बड़ी-बड़ी लकड़ियों से ये मर्दों की जमकर पिटाई कर रही हैं। अपने देवर की, अपने जेठ की, अपने पति की, अपने ससुर की। किसी को भी नहीं छोड़ रही हैं। इतनी बेरहमी से लाठियां बरसा रही हैं कि इन मर्दों की पीठ, हाथ-पैर लहुलूहान हो रहे हैं, लेकिन इन घूंघट वाली औरतों को कोई फर्क नहीं पड़ता। आज इनके मन में किसी पर भी दया नहीं है। आज इन्हें किसी का भय नहीं है। न कानून का और न ही गाँव के पंचों का।<br /><br />दरअसल, राजस्थान में प्रतापगढ़ जिले के टांडा, अखेपुर आदि कुछ गांवों के खुले मैदान में यही कुछ हो रहा है। महिलाएं लम्बी-लम्बी लकड़ियों से मर्दों की जमकर मरम्मत कर रही हैं। टांडा गांव का यह मैदान किसी युद्ध के मैदान से कम नजर नहीं आ रहा है। महिलाएं पुरुषों की पूरी खबर ले रही हैं। लकड़ियों से, हरी-लचीली टहनियों से, लाठियों से उनकी जमकर पिटाई कर रही हैं।<br /><br />