<p>कौशांबी. बसेड़ी गाव में मंगलवार की शाम 65 साल के भल्लर ने पूरे रीति रिवाज के साथ शादी रचाई। यह शादी इलाके में चर्चा का विषय बन गई। इस शादी में दूल्हा 65 साल का तो दुल्हन कोई युवती या महिला नहीं, बल्कि एक लकड़ी का टुकड़ा था। लेकिन इस विवाह में मंडप, रस्म, हसी-ठिठोली, गीत-संगीत, साज-सज्जा और भोज जैसे रीति रिवाज का पूरा ध्यान रखा गया। हिन्दू धर्म में इस परम्परा को स्थानीय भाषा में कुंवरगो कहते हैं। जिसमें मृत्यु से पहले वृद्ध व्यक्ति की कपास की लकड़ी से विवाह करा कर उसका परलोक सुधारा जाता है। मान्यता है कि हिन्दू धर्म शास्त्र कुंवारे व्यक्तियों को मौत के बाद दाह संस्कार की इजाजत नहीं देता। </p>