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व्यर्थ चीज़ों को जीवन से कैसे हटाएँ? || आचार्य प्रशांत, आत्मबोध पर (2019)

2019-10-19 7 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोधशिविर<br />२८ मार्च, २०१९<br />चंडीगढ़<br /><br />एवमात्मारणौ ध्यानमथने सततं कृते।<br />उदितावगतिज्वाला सर्वाज्ञानेन्धनं दहेत्।।42।।<br />~ आत्मबोध, श्लोक ४२<br /><br />अर्थ: जब आत्मा के निम्न और उच्च पहलुओं का मंथन किया जाता है, तो उससे ज्ञानाग्नि उत्पन्न होती है। जिसकी प्रचंड ज्वालाएँ हमारे भीतर के अज्ञान-ईंधन को जलाकर राख कर देती है।<br /><br />प्रसंग:<br />व्यर्थ चीज़ों को जीवन से कैसे हटाएँ?<br />जीवन को साफ़ नज़र से कैसे देखें?<br />आत्मबोध ग्रन्थ को कैसे समझें?<br />निम्न श्लोक को कैसे समझें?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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