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क्या सामाजिक रह करके भी मन अपना रह सकता है? || आचार्य प्रशांत (2016)

2019-11-24 0 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />२१ फरवरी २०१६<br />रमण महर्षि केंद्र, दिल्ली<br /><br />प्रसंग:<br />क्या यह सम्भव है कि हम सामज में भी रहें और हमारा मन समाज के अनेक प्रभावों से अछूता रहे?<br />क्या समाज से हटने का विकल्प इंसान के पास रहता है?<br />क्या समाज से हटने के लिए जो चित्त चाहिए, जो श्रद्धा चाहिए, वो होती है हमारे पास?<br />क्या सामाजिक रह करके भी मन अपना रह सकता है?<br />आध्यात्मिकता के साथ समाज में कैसे रहें?<br />आध्यात्मिकता क्या होती है?<br />सांसारिक काम करते हुए अध्यात्म के साथ कैसे रहें?<br />क्या संसार में रहकर आध्यात्मिक हो सकते हैं?<br />समाज से इतना डर क्यों लगती है?

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