वीडियो जानकारी:<br /><br />3 अगस्त, 2019<br />विश्रांति शिविर<br />पुणे, महाराष्ट्र<br /><br />श्रीमद्भगवद्गीता गीता (अध्याय 4, श्लोक 6)<br /><br />अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्।<br />प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया॥<br /><br />भावार्थ:<br />मैं अजन्मा और अविनाशीस्वरूप होते हुए भी तथा समस्त प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी<br />अपनी प्रकृति को अधीन करके अपनी योगमाया से प्रकट होता हूँ॥<br /><br />प्रसंग:<br />श्रीकृष्ण किस जादुई माया की बात करते है?<br />संसार को माया क्यों कहते है?<br />अहं वास्तव में चाहता क्या है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते