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क्यों चाहिए मुक्ति? || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2017)

2019-11-25 18 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१७ अप्रैल २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />अष्टावक्र गीता, अध्याय १८ से<br />मुमुक्षोर्बुद्धिरालंबमन्तरेण न विद्यते ।<br />निरालंबैव निष्कामा बुद्धिर्मुक्तस्य सर्वदा ॥४४॥<br /><br />मुमुक्षु पुरुष की बुद्धि कुछ आश्रय ग्रहण किये बिना नहीं रहती। मुक्त पुरुष की बुद्धि तो सब प्रकार से निष्काम और निराश्रय ही रहती है ।<br /><br />प्रसंग:<br />मुक्ति क्या है?<br />अष्टावक्र मुमुक्षुत को भी झूठ क्यों बता रहे है?<br />हमें मोक्ष क्यों चाहिए?<br />मुक्ति चाह कर भी बंधनों में क्यों पड़े हो?<br />मुक्ति की चाह क्यों होती है?<br />मुक्ति का क्या महत्व है?<br />बन्धनों की आसक्ति से कैसे बचें?<br />बंधन क्यों आकर्षित करते हैं?<br />मुमुक्षा क्या होती है?<br />मुमुक्षु पुरुष और मुक्त पुरुष में क्या भेद है?<br />मुमुक्षु पुरुष और मुक्त पुरुष में कौन सर्वोपरि है?<br />क्यों चाहिए मुक्ति?

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