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कौन है जिसे न आँखें देख पाती हैं न मन सोच पाता है? || आचार्य प्रशांत, अपरोक्षानुभूति पर (2018)

2019-11-26 0 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />२६ अप्रैल, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल,<br />ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />यन्मौनं योगिभिर्गम्यं तद्भजेत्सर्वदा बुधः ॥ १०७॥<br /><br />भावार्थ: जिसे न पाकर मन सहित वाणी लौट आती है तथा जिस मौन तक योगियों की ही गति है। विद्वान सदा उसी को धारण करे।<br /><br />~ अपरोक्षानुभूति<br /><br />अपरोक्षानुभूति को कैसे समझें?<br />क्या है जो मन की पकड़ से बाहर है?<br />सत्य को मन क्यों नहीं पकड़ सकता?<br />क्या सत्य की प्राप्ति मौन में ही संभव है?<br />क्या सत्य को सुना जा सकता है'?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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