वीडियो जानकारी:<br /><br />२६ अप्रैल, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल,<br />ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br /><br />त्यागः प्रपञ्चरूपस्य चिदात्मत्वावलोकनात् ।<br />त्यागो हि महतां पूज्यः सद्यो मोक्षमयो यतः ॥ १०६॥<br /><br />भावार्थ: प्रपंच को चेतन-स्वरूप देखने से उसके रूप का त्याग करना ही महान पुरुषों का वन्दनीय त्याग है, क्योंकि वह तुरंत मोक्ष देने वाला है।<br /><br />अपरोक्षानुभूति को कैसे समझें?<br />जीवन में क्या रखने और क्या छोड़ने लायक है?<br />मन से कौन सी बातें निकाल देना चाहिए?<br />त्याग करने योग्य क्या है?<br />साधना में किसको छोड़ने की बात शंकराचार्य कर रहे हैं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते