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संत किस 'शब्द' की बात करते हैं? || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2013)

2019-11-26 0 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१९ जून २०१३<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />शब्द भेद तब जानिये, रहे शब्द के माहिं।<br />शब्दे शब्द परगट भया, दूजा दीखे नाहिं।।<br /><br />शब्द गुरु का शब्द है, काया का गुरु काय।<br />भक्ति करै नित शब्द की, सतगुरु यौं समुझाय।।<br /><br />एक शब्द सुख खानि है, एक शब्द दुःख रासि।<br />एक शब्द बंधन कटे, एक शब्द गल फांसि।।<br /><br />शीतल शब्द उचारिये, अहम मानिये नाही।<br />तेरा प्रीतम तुझी में, दुश्मन भी तुझ माही।।<br /><br />~ गुरु कबीर<br /><br />प्रसंग:<br />अनहद शब्द का क्या अर्थ है?<br />संत किस 'शब्द' की बात करते हैं?<br />गुरु कबीर साहब के दोहे को कैसे समझे?<br />"तेरा प्रीतम तुझी में, दुश्मन भी तुझ माही" इस पंक्ति का क्या भावार्थ है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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