वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />२२ अक्टूबर २०१४,<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />अष्टावक्र गीता (अध्याय ३, श्लोक ५)<br />सर्वभूतेषु चात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि |<br />मुनेर्जानत आश्र्चर्यं ममतवमनुवर्तते ||<br /><br />प्रसंग:<br />क्या लक्ष्य के लिए चोट खाते रहना उचित है?<br />अष्टावक्र के अमूल्य वचनों को जीवन में कैसे उतारें?<br />क्या चोट खाकर हम जाग जाते हैं?