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संसार का पहला भ्रम क्या? || आचार्य प्रशांत, अपरोक्षानुभूति पर (2018)

2019-11-27 10 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />१६ अप्रैल, २०१८<br />हार्दिक उल्लास शिविर,<br />पंगोट, उत्तराखंड<br /><br />प्रसंग:<br />नित्यमात्मस्वरूपं हि दृश्यं तद्विपरीतगम् ।<br />एवं यो निश्चयः सम्यग्विवेको वस्तुनः स वै ॥ ५॥<br /><br />भावार्थ: आत्मा का स्वरुप नित्य है और दृश्य उसके विपरीत या अनित्य है। ऐसा जो दृढ़ निश्चय है, वही आत्मवस्तु का विवेक है।<br /><br />~ अपरोक्षानुभूति<br /><br />संसार का मूल भ्रम क्या है?<br />क्या जीव का होना ही भ्रम है?<br />भ्रम से कैसे पार पाएँ?<br />साधक कि लिए भ्रम से निकलना क्यों ज़रूरी है?<br />अपरोक्षानुभूति को कैसे समझें?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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