वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग, ४२वा अद्वैत बोध शिविर<br />२९ जनवरी, २०१८<br />कैंचीधाम,नैनीताल<br /><br />कहानी:<br />एक बार बकरियों के झुंड पर एक बाघिन झपट पड़ी, बाघिन गाभिन थी और कूदते समय उसे बच्चा पैदा हो गया और वो मर गई। वो बच्चा बकरियों के साथ पलने लग गया, बकरियां घास-पत्ते खाती और वो भी वहीं खाने लगा। धीरे-धीरे वो बच्चा काफी बड़ा हो गया। एक दिन उस बकरियों के झुंड में और एक बाघ आ पड़ा और वो उस घास चरने वाले बाघ को देख आश्चर्य से दंग हो गया उसने दौड़ कर उसे पकड़ लिया वह में,में कर चिल्लाने लगा। वह उसे घसीटते हुए जलाशय के पास ले गया देख जल के भीतर अपना मुह देख, देख तू ठीक मेरे ही जैसा है और यह ले थोड़ा सा मांस और इसे खा। यह कहकर वो उसे ज़बरदस्ती मांस खिलाने लगा, पहले तो वो राज़ी नहीं हुआ पर अंत में रक्त का स्वाद पाकर खाने लगा। तब नए बाघ ने कहा अब समझा न कि जो मैं हूँ वहीं तू भी है अब आ मेरे साथ वन में चल।<br /><br />प्रसंग:<br />गलत संगत कैसे पहचानें?<br />सच्ची मित्रता, सच्ची संगति कैसी होनी चाहिए?<br />सही संगति कैसे चुनें?<br />किसकी संगति करना सही?<br />कुसंगति से कैसे बचें?<br />किसकी संगति करें?<br />सत्संगति की पहचान कैसे करें?<br />क्या सत्संगति में ईश्वर का सुमिरन अधिक आसान हो जाता है?<br />कुसंगति और संगति में कैसे भेद करे?<br />क्या हमारी कुसंगति बाहर से होती है?<br />क्या असली कुसंगति हमारे भीतर ही है?<br />सत्संगति की पहचान कैसे करें?