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श्रद्धा इतनी महत्वपूर्ण क्यों? || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2013)

2019-11-28 2 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१९ जून २०१३<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />1. रचनहार को चीन्हि ले, खाने को क्या रोय।<br />मन मंदिर में पैठी के, तान पिछोरी सोय।।<br /><br />2. चिंता छोड़िए अचिंत रह, देनदार समरथ।<br />पसू पखेरू जंतु जीव, तिन के गांठी न हथ।।<br /><br />3. चिंता छोड़िए अचिंत रह, देनदार समरथ।<br />पसू पखेरू जंतु जीव, तिन के गांठी न हथ।।<br /><br />4. किये बिना, मांगे बिना, जाने बिना सब आए।<br />काहे को मन कल्पिये, सहजे रहा समाए।।<br /><br />5. मुरदे को भी देत है कपड़ा पानी आग<br />जीवत नर चिंता करै, ताका बड़ा अभाग।<br /><br />6. सीतलता तब जानिए, समता रहै समाए ।<br />विष छाड़ै निरविष रहै, सब दिन दूखा जाए ॥<br /><br />~ गुरु कबीर<br /><br />प्रसंग:<br />जीवन में श्रद्धा कैसे लायें?<br />श्रद्धा किसके प्रति करें?<br />श्रद्धा और विश्वास में क्या अंतर है ?<br />श्रद्धा और अंधविश्वास में क्या अंतर हैं?<br />श्रद्धा इतनी महत्वपूर्ण क्यों?<br />हममें में "मीरा, कबीर, बुल्ले शाह जैसा असीम श्रद्धा कैसे अये?<br />श्रद्धा और विश्वास में क्या अंतर है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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