वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१४ मई २०१४,<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />गारी ही सो ऊपजे, कलह कष्ट और भींच |<br />हारि चले सो साधु हैं, लागि चले तो नीच || (संत कबीर)<br /><br />प्रसंग:<br />क्या है जीत और क्या है हार?<br />साधू की हार से कबीर जी का क्या तात्पर्य है?<br />साधू हार के भी कैसे जीत जाता है ?