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यज्ञ क्या है? यह लोक क्या है? और परलोक क्या है? || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2015)

2019-11-29 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />२९ अप्रैल २०१५<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय ४ श्लोक ३१)<br /><br />यज्ञशिष्टामृतभुजो यान्ति ब्रह्म सनातनम्‌ ।<br />नायं लोकोऽस्त्ययज्ञस्य कुतोऽन्यः कुरुसत्तम ॥<br /><br />हे कुरुश्रेष्ठ अर्जुन!<br />यज्ञों के फ़ल रूपी अमृत को चखकर<br />यह सभी योगी सनातन परब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं,<br />और यज्ञ को न करने वाले मनुष्य<br />तो इस जीवन में भी सुखपूर्वक नहीं रह सकते है,<br />तो फिर अगले जीवन में कैसे सुख को प्राप्त हो सकते है?<br /><br />प्रसंग:<br />यज्ञ क्या है?<br />मनुष्य लोक क्या है? और परलोक क्या है?<br />परलोक का आनंद कैसे पाये?<br />ऐसा कृष्ण क्यों कहते है की जो यज्ञ नहीं करते वो मनुष्य लोक में भी सुख नहीं पाते?

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