वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />३ दिसम्बर, २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />अंतर्विकल्पशून्यस्य बहिः स्वच्छन्दचारिणः।<br />भ्रान्तस्येव दशास्तास्तास्- तादृशा एव जानते॥<br />अष्टावक्र गीता (अध्याय-14 सूत्र-4)<br /><br />प्रसंग:<br />भ्रांत कौन?<br />संसारी कौन?<br />सन्यासी कौन?<br />क्या एक संसारी की आँख, एक भ्रांत और एक सन्यासी के बीच भेद करने के काबिल है?और अगर नहीं है तो क्या काबिल बनाई जा सकती है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते