वीडियो जानकारी:<br /><br />संवाद सत्र<br />१८ अक्टूबर, २०१२<br />बी.बी.एस.सी.ई.टी, इलाहाबाद<br /><br />प्रसंग:<br />क्या दूसरे के मार्ग पर चलने से सफलता मिल जाएगी?<br />सही बातों का असर कुछ समय तक ही क्यों रहता है?<br />होश में कैसे जीए?<br />कैसे जाने की होश में जिएं जा रहा हूँ या बेहोश में?<br />खुद को कैसे जाने?<br />क्या मन को जाना जा सकता हूँ?<br />मेरे लिए अभी क्या करना फर्ज बनता है?<br />गलतियाँ जानने पर भी दूर क्यों नहीं होती है?<br />एकाग्रता माने क्या?<br />जीवन में होश कैसे बढाएँ?<br />असली होश माने क्या?<br />नकली होश माने क्या?<br />होश बना कैसे रहे?<br />हर पल होश में कैसे रहें?<br />कैसे पता करें की होश में जीये जा रहें या बेहोश में?<br />असली होश को कैसे उपलब्ध हुआ जाए?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते