वीडियो जानकारी:<br />विश्रांति शिविर<br />८ सितंबर, २०१९<br />चंडीगढ़, पंजाब<br /><br />प्रसंग:<br /><br />तन तपे तंदूर ज्यों, बालन हड बलन,<br />पैरी थका, सर जुलां जे मुह पैरी मिलन।<br /><br />भावार्थ: साधना में मेरा शरीर तन्दूर की तरह तप रहा है और मेरी हड्डियाँ लकड़ी की तरह उबल रही हैं। मेरे पैर थक गए हैं। ठीक है, मैं सर के बल चलकर अपने प्यारे से मिलने जाऊँगी।<br /><br /><br /><br /><br />~बाबा शेख़ फ़रीद<br /><br />असली साधना कैसी होती है?<br />असली साधक कैसा होता है?<br />साधना में क्या-क्या मुश्किलें आती हैं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते