कहते ही हैं ...बनी बनाई बन रही और बननी कुछ ना हीं। विडम्बना देखो फिर भी सारी दुनिया करने करने के भाव से रेस कर रही है।यही कारण है कि मनुष्य की सुख,शांति,प्रेम ,स्नेह सब गायब है।