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सही कर्म, गलत कर्म क्या? हम गलत कर्म क्यों करते हैं? || आचार्य प्रशांत, उत्तर गीता पर (2019)

2020-03-29 4 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br />हार्दिक उल्लास शिविर, 21.12.19, गोआ, भारत<br /><br />प्रसंग: <br />आयुःकीर्तिकराणीह यानि कर्माणि सेवते।<br />शरीरग्रहणे यस्मिंस्तेषु क्षीणेषु सर्वशः॥६॥<br />आयुःक्षयपरीतात्मा विपरीतानि सेवते।<br />बुद्धिर्व्यावर्तते चास्य विनाशे प्रत्युपस्थिते॥७॥<br /><br />सिद्धने कहा- काश्यप! मनुष्य इस लोक में आयु और कीर्ति को बढ़ाने वाले जिन कर्मो का सेवन करता है,वे शरीर-प्राप्ति में कारण होते हैं। शरीर-ग्रहण के अनन्तर जब वे सभी कर्म अपना फल देकर क्षीण हो जाते हे, उस समय जीव की आयु का भी क्षय हो जाता है। उस अवस्था वह विपरीत कर्मो का सेवन करने लगता है और विनाशकाल निकट आने पर उसकी बुद्धि उलटी हो जाती है।<br />~ उत्तर गीता (अध्याय २, श्लोक ६)<br /><br />~ सही और ग़लत कर्मों को कैसे जाने और तय कैसे करें? <br />~ शरीर प्रप्ति का क्या अर्थ होता है? <br />~ मनुष्य अपनी आयु और कीर्ति क्यों बढ़ाना चाहता है? <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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