वीडियो जानकारी:<br />पार से उपहार शिविर, 20.12.19, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत <br /><br />प्रसंग: <br />यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।<br />समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते।।<br />~ श्रीमद भगवतगीता, अध्याय २, श्लोक १५<br /><br />~ सुख-दुःख एक समान, तो फिर जिएँ क्यों?<br />~ सुख-दुःख में अडिग कैसे रहें?<br />~ सुख-दुःख से ऊपर कैसे उठें?