<p>कोरोना को लेकर सरकार हर तरह से लोगो को अपने अपने घरों में रहने की हिदायत के साथ कानूनी कार्यवाही तक का खौफ दिखा रही है, ताकि लोग अपने घरों में परिवार के साथ रहे और इस बीमारी से दूर रहे मगर कहते है कि पापी पेट का सवाल है। इसीलिए तो कमाएंगे तो खाएंगे नही तो यारो भूखे ही शो जाएंगे ये गाना आज कुछ दिहाड़ी और गरीब मजदूरों पर सटीक बैठता है। जब पूरा देश लॉक डाउन है और मथुरा के कृष्णा नगर में आज भी सेकड़ो दिहाड़ी मजदूर इस उम्मीद में यहां एकत्र हुए की सायद आज कोई उन्हें मजदूरी के लिए अपने घरों में ले जाय। जहां से इन्हें मेहनत की कुछ दिहाड़ी के रूप में पैसा मिल जाय। जिससे ये अपने परिवार के पेट को भरने का काम कर सकें। हालांकि ये सरकार के लॉक डाउन का और धारा 144 का उलंघन कर रहे है, मगर ये सव इन सब नियम कानूनों से दूर सिर्फ इस बात को ही सोचकर यहां आए है कि पापी पेट का सवाल है। घरों में रहकर खाने को लाएंगे कहाँ से और जब लाएंगे नही तो खाएंगे कहाँ से मगर इस सबके बाबजूद सरकार और प्रशासन ने भले ये आदेश दिया है कि गरीब लोगो और ठेल धकेल बालों के साथ दिहाड़ी मजदूरों को एक हजार रुपये सरकारी मदद मिलेगी। वहीं गेंहू चावल भी मिलेगा मगर इनका तो यही कहना है कि साहब सरकार कहने को तो बहुत कुछ कहती है। मगर खाना तो आज है सरकार कब देगी और कब खाएंगे। हम तो कमाएंगे नही तो बच्चों को कहां से खिलाएंगे। लेकिन ये नही जानते है कि जिन बच्चों को ये लोग खिलाने की बात कर रहे है, कहीं ये उन्ही बच्चो के लिए कोरोना जैसी घातक बीमारी को घरों में न ले जाय। लेकिन यहां पुलिस चौकी चंद कदमो की दूरी पर ही है। लेकिन पुलिस ने शायद ही इन्हें यहां से इनके घरों पर भेजने की कोशिश की होती तो ये बड़ी संख्या में इस कृष्णा नगर चौराहे पर मौजूद नहीं होते।</p>
