सोशल मीडिया पर किसी फोटो और वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर उसे वायरल किया जाता रहता है। वहीं किसी पुरानी फोटो और वीडियो को नया बताकर भी उसे शेयर किया जाता है। कई बार सच्चाई कोसों दूर होती है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग बिना सच जाने उसे वायरल करते रहते हैं। <br />चीन में फैले कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीर को लेकर दावा किया गया है कि चीन की सरकार ने कोरोना वायरस से संक्रमित 20 हजार लोगों को मारने के लिए अदालत से मंजूरी मांगी है, ताकि वायरस से होने वाले संक्रमण को रोका जा सके। राजस्थान पत्रिका की फैक्ट चैक टीम ने दावे की जांच की तो जो पता चला हम आपको आगे बताते हैं। जांच में यह दावा गलत निकला। चीन सरकार ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को मारने के लिए किसी भी अदालत से कोई मंजूरी नहीं मांगी है।<br />यह है वायरल पोस्ट में<br />फेसबुक यूजर संजय यादव ने एक न्यूज रिपोर्ट को शेयर करते हुए लिखा है कि वामपंथी हकीकत... चीन में कोरोना वायरस ग्रस्त 20 हजार लोगों को इलाज की जगह गोली से मार कर उन्हें जलाने की इजाजत मांगी। ताकि इनसे दूसरों में इंफेक्शन न फैले। न कोई मानवाधिकार वाला चिल्लाया, न असहिष्णु बोला... यही वामपंथ का इतिहास है... मास किलिंग जेनोसाइड इनका इतिहास रहा है, आज भी है।" ऐसा ही सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस रिपोर्ट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। वहीं ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने ऐसी पोस्ट शेयर की है।