आज दुनियाभर में मदर्स डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। मातृत्व को सम्मान दिया जा रहा है, लेकिन क्या कभी हमने अपनी मां के सपनों या उसके स्वतंत्र अस्तित्व के बारे में सोचा है... ऐसा ही सवाल है लेखिका रश्मि भारद्वाज का। वे कहती हैं कि मां समाज के तयशुदा खांचे से बाहर निकले और खुद के बारे में भी सोचे, इस पर अब चर्चा होनी चाहिए। उसके स्वतंत्र अस्तित्व को समाज में स्वीकार्यता मिलनी चाहिए।
