जयपुर। सोशल मीडिया पर अपने पसंदीदा चरित्र को लोग फॉलो करते—करते इतने नार्मलाइज हो जाते हैं कि अपने आइडियल की गलत बात भी फॉलो करने लगते हैं। यह भी एक तरह की एंजायटी है, जो सोशल मीडिया की देन है। सोशल मीडिया पर अपने आइडियल को फॉलो करते लोग अपनी जिंदगी खतरे में डालने लगे हैं। इसका एडिक्शन या प्रभाव जिंदगी से बड़ा होने लगा है।<br /><br />ऐसा रहा है प्रभाव<br />ऐसे ही मामले देखने को मिले हैं एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या से हुई मौत के बाद से। सुशांत सिंह की इस खबर से आहत होकर उत्तरप्रदेश के बरेली में एक दसवीं के छात्र ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके बाद मध्यप्रदेश के सागर से खबर आई कि यहां एक युवती ने आत्महत्या की। उसके परिजनों का कहना है कि उसने भी फांसी लगाने से पहले यही कहा था कि वो सुशांत सिंह की तरह अपनी जिंदगी खत्म कर लेगी। हालांकि घरवालों का कहना है कि उसने आत्महत्या से पहले कहा था कि वो मजाक ही कर रही थी।<br /><br />मजाक को गंभीरता से लें<br />ऐसी कितनी ही मौतें होती हैं, जिनमें जान बचाई जा सकती है, सिर्फ इस सोच को डायग्नोस कर। परिजन या दोस्तों को जैसे ही किसी अपने की सोच में ऐसे किसी विचार की जानकारी लगे तो उसे चिकित्सकी परामर्श के लिए जरूर ले जाएं। इसे हल्के में बिलकुल ना लें। इस बारे में मनोचिकित्सक भी यही कहते हैं कि 100 में से 90 आत्महत्याएं रोकी जा सकती है, यदि ऐसे विचार आने पर व्यक्ति को मनोचिकित्सकीय सेवाएं दी जाएं।<br /><br />अपने आइडियल को हावी ना करें<br />मनोचिकित्सक डॉ. मनीषा गौड़ का कहना है कि लोग सोशल मीडिया की वजह से अपने आइडियल की हर बात फॉलो करते हैं। उनके अनकॉन्शस माइंड में हमेशा एक छवि रहती है, जिसके स्टाइल, कपड़ों, हेयर स्टाइल से लेकर जीवन का हर तरीका उन्हें रोमांचित करता है। इस तरह उनसे वे अपनी जिंदगी जोड़ लेते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई हस्तियां ऐसी रही हैं, जिनकी आत्महत्या से हुई मौत के बाद उनके फैन या उनकी खबरें देखने वाले लोगों में चिंताजनक तौर पर आत्महत्या की मनोवृति बढ़ने लगती है। इस मनोस्थिति से बचा जा सकता है, यदि मनोचिकित्सक से सलाह ली जाए। इससे हम 90 प्रतिशत जिंदगियां बचा सकते हैं। <br /><br />अवसाद पर बात जरूर करें<br />अब समय है कि हमें अपनी शारीरिक बीमारियों की तरह ही मानसिक अवसाद को भी आम बीमारी मानकर उसके इलाज पर ध्यान दिया जाए। लोग अक्सर इसे शर्मिंदगी का कारण समझते हैं, जबकि यह वो बीमारी है, जिसमें तुरंत चिकित्सा की जरूरत है। ताकि जिंदगी बची रहे।<br /><br /><br />#SushantSingRajput #SushantSingh