भारत ने सामरिक क्षेत्र में जो उपलब्धि हासिल की है, वह चीन का अहंकार और दादागिरी को ध्वस्त करने में काफी कारगर साबित होगी। दरअसल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सोमवार को स्वदेशी तौर पर विकसित स्क्रैमजेट प्रोपल्सन सिस्टम का प्रयोग करते हुए हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की। <br />लॉन्चिंग के बाद यह अब अगले चरण की प्रक्रिया के लिए स्थापित हो गई हैं। भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश है। अमेरिका, रूस और चीन के पास भी यह तकनीक है। इसका प्रयोग बेहद तेज गति से लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों और रॉकेट्स के प्रक्षेपण में यान के तौर पर किया जाएगा। यह हाइपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरने वाला मानव रहित स्क्रैमजेट सिस्टम है। <br /> <br /> <br />इसकी रफ्तार ध्वनि की गति से 6 गुना अधिक है। ये आसमान में 20 सेकंड में लगभग 32.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाता है। <br /> <br />हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल यानी HTDV प्रोजेक्ट DRDO की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। <br />इसका उद्देश्य कई सैन्य और नागरिक लक्ष्यों को सेवाएं देना है। <br />सूत्रों की मानें तो भारत अब अगले 5 साल में हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकेगा। <br />हाइपरसोनिक मिसाइलें एक सेकंड में 2 किलोमीटर तक वार कर सकती हैं। <br />इनकी रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से 6 गुना ज्यादा होती है। भारत में तैयार होने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें देश में तैयार की गई स्क्रैमजेट प्रपुल्सन सिस्टम से लैस होंगी। <br />इस सफल उपलब्धि पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और इसके वैज्ञानिकों को बधाई दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि संस्थान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में जुटा है।