इस वीडियो के माध्यम से मैंने रीतिकाल के महान कवि बिहारी लाल द्वारा रचित पाँच प्रमुख दोहों का वाचन के साथ-साथ शब्दार्थ सहित सप्रसंग व्याख्या भावार्थ या आशय को बतलाने का प्रयास किया है ।<br /><br />दोहे - <br /><br />1. सोहत ओढ़ै पीतु पटु स्याम, सलौनैं गात । <br /> मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु परयौ प्रभात।।<br /><br />2. कहलाने एकत बसत अहि, मयूर, मृग, बाघ । <br /> जगतु तपोबन सौ कियो दीरघ-दाध निदाघ ।।<br /><br />3. बतरस-लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ। <br /> सौह करें भौंहनु हँसे ,दैन कहैं नटि जाइ।।<br /><br />4. कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत,लजियात। <br /> भरे भौन मैं करत हैं नैननु ही सब बात ।।<br /><br />5. बैठि रही अति सघन बन, पैठि सदन-तन माँह।<br /> देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह।।
