यह पुण्य है जिसकी वजह से मुझे साठ साल की उम्र हो जाने पर भी दादा भगवान के अक्रम ज्ञान की प्राप्ति हुई है। दादाजी ने मुझे स्वीकार किया है इसके लिए में आभारी हूँ।रोज सुबह टी.वी. में दादाजी के दर्शन करने और सत्संग को देखने के लिए मैं बहुत उत्सुक रहता हूं। इस सत्संग के घूंट पीते पीते आँसुओ की धारा बहने लगती है। दस जन्म भी बीत जाएं फिर भी मैं दादाजी के ज्ञान का ऋण नहीं चूका पाउँगा।<br /><br />To know more please click on:<br /><br />https://hindi.dadabhagwan.org/self-realization/video-experiences/
