महर्षि जी के जलपान या भोजन के उपरान्त हम सभी भक्तलोग उनके बचे हुए भोजन का प्रसाद ग्रहण करने के लिए सदैव लालायित रहते थे। उस प्रसाद का विस्मरण हमें कभी नहीं हो सकता। उस प्रसाद का स्वाद अब हमलोगों को भले ही ना मिले परन्तु महर्षि जी के दर्शन के संग-संग उस प्रसाद के <br />दर्शन का सौभाग्य हमलोगों को अब फिर मिल रहा है। <br />दिनांक :- 29 जनवरी, 2010 <br />समय :- संध्या 6 बजे (लगभग) <br />स्थान :- महर्षि मेँहीँ आश्रम, <br /> कंकड़बाग, पटना
