<br />बुलंदशहर की स्याना विधानसभा का सियासी हाल <br />देखिए विधानसभा सीट पर किसके पक्ष में है आवाम ?<br />क्या बीजेपी करेगी इस सीट पर मिशन रिपीट ?<br />क्या बीएसपी दूसरे पायदान से आएगी ऊपर ?<br />क्या सपा के पास है कोई जीत का पुख्ता प्लान ?<br />क्या कांग्रेस 2012 वाला करिश्मा कर पाएगी ?<br /><br />बुलंदशहर की नई नवेली सीट स्याना वैसे तो अब तक दो बार सियासी दुल्हन बनी है लेकिन सियासी तौर योगदान उतना ही है जिनता अन्य सीटों का होता है…इस सीट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव 2012 में हुआ था और उसके बाद फिर 2017 में और दोनों बार नतीजे एक दम उम्मीदों से परे थे…2022 में किसके खाते में जा सकती है ये सीट आइए ये समीकरण जानते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि सियासी इतिहास क्या इशारा करता है…<br /><br />स्याना विधानसभा ने पिछले दोनों चुनावों में चौंकाया है <br />स्याना में पहली बार 2012 में सपा की लहर में कांग्रेस ने जीत दर्ज की <br />सपा 2012 में तमाम कोशिशें करने के बाद भी चौथे नंबर पर रही <br />कांग्रेस और बीएसपी में आमने-सामने का मुकाबला देखने को मिला था <br />और कड़ी टक्कर देते हुए कांग्रेस ने 2012 में बाजी मार ली थी <br />2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस रेस से एक दम बाहर दिखी <br />और बीएसपी दूसरे नंबर पर ही काबिज दिखाई दी थी <br />बीएसपी और बीजेपी में आमने सामने की टक्कर में बीजेपी ने बाजी मारी थी <br />2017 में सपा एक बार फिर यहां से अपनी गोटी फिट करने में चूक गई <br /><br />बीजेपी और बीएसपी की मजबूती इसी बात से आंकी जा सकती है पिछले दोनों चुनावों में बीएसपी दूसरे पायदान से नीचे नहीं खिसकी…साथ ही बीजेपी जो 2012 में दूर दूर तक नहीं दिखी थी उसने बाजी अपने नाम कर ली…ऐसे में सपा के लिए अब एक बार फिर मंथन करने का वक्त है…आइए जानते हैं कि आखिर स्याना का सियासी हाल क्या कहता है <br /><br />स्याना सीट पर बीजेपी मिशन रिपीट का सपना देख रही है <br />बीएसपी जीत के लिए जीत तोड़ मेहनत करने की कोशिश में है <br />और बीएसपी की कोशिश सिर्फ बहनजी की ट्वीटर राजनीति पर टिकी है <br />ऐसे में बीएसपी को सपा पीछे धकेल सकती है लेकिन रणनीति बनानी होगी <br />सपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर कमजोरी का शिकार है <br />ऐसे में सपा को बुझी पड़ी पार्टी की लौ को फिर जगाना होगा <br />कार्यकर्ताओं में अखिलेश यादव को जोश भरना होगा <br />किसानों का मुद्दा सपा के हाथ मजबूत करता है लेकिन जीतने के लिए कोशिश करनी होगी अब देखना ये हैं कि सपा कैसे मजबूती हासिल करती है…क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी को अपना वजूद स्थापित करना ही होगा…अखिलेश यादव के लिए आगामी चुनाव करो या मरो वाली स्थिति का होगा…वहीं बात करें बीजेपी और बीएसपी के साथ साथ कांग्रेस की तो इन सबके सामने टिकने के लिए भी सपा को कड़े तेवर अख्तियार करने होगे…बांकी तो चुनावी नतीजें बताएंगे कौन स्याना का सिकंदर बनता है…ब्यूरो रिपोर्ट <br />