दादाजी, मैं साइकिल चलाना नहीं सीखूंगी।’ <br />दादाजी ने अखबार से चेहरा निकालते हुए पूछा, ’क्यों? गिर पड़ी क्या?’ <br />मैंने अपने सही-सलामत कोहनी और घुटने दिखाते हुए कहा, ’नहीं तो! मैं कहां गिरी? ये देख लो।’ दादाजी ने कहा, ’तो फिर? डर लगता है क्या?’