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गांधी जयंती विशेष: कलम के सिपाही गांधी I Gandhi Jayanti I 2 October I Mahatma Gandhi I Damini Yadav

2021-06-03 1 Dailymotion

हम सभी के जीवन में ऐसा बहुत-कुछ होता है, जिसे चाहे हम पसंद करें या नापसंद, नज़रअंदाज़<br />नहीं कर सकते। उनका होना हमारी आंख में खटकने के बावजूद और उन्हें मिटाकर भी नहीं<br />मिटाया जा सकता, जैसे गांधी। गांधी को तो मार दिया गया, मिटा उन्हें आज तक कोई भी नहीं<br />पाया। गांधी को मारने ने उन्हें और अधिक ज़िंदा कर दिया था, जिसके चलते वे संसार-भर में<br />आज तक प्रासंगिक हैं, पर आज यहां हम याद कर रहे हैं केवल उस गांधी को, जो ‘सत्य के<br />साथ’ अपने प्रयोग करता था, ख़ुद लाठी टेककर चलता था, लेकिन दुनिया को अपनी कलम से<br />रास्ता दिखाने का फ़न रखता था, जिसका भारत ‘यंग इंडिया’ का सपना देखता था।<br />महात्मा गांधी ने भी अपने उतार-चढ़ाव से भरे जीवन के हर पल का गवाह किताबों और अपनी<br />कलम को ही बनाया था। गांधी जी अपने जीवन का आधार किताबों को मानते थे, शायद यही<br />वजह है कि एक तरफ़ वे ऊंचे दर्जे के पाठक थे तो दूसरी ओर उनकी कलम का भी विस्तार<br />पटल बेहद व्यापक है। उन्होंने अनेक किताबें लिखी हैं, अनुवाद किए हैं, संपादन किया है और<br />एक कलम के सिपाही की तरह भी सक्रिय रहे हैं। आज भी बहुत से लोगों को अपने अनसुलझे<br />सवालों के जवाब महात्मा गांधी जी के साहित्य में, उनकी किताबों में, उनके विचारों में मिल<br />जाते हैं।<br /><br />महात्मा गांधी की किताबों के पन्ने पीले ज़रूर पड़ गए हैं, पर उनके सबक आज भी साफ़-साफ़<br />दिखते हैं। गांधी जयंती पर, गांधी जी की कलम को ‘द वायर’ बेहद आदर से याद करता है,<br />‘हिंदी की बिंदी’ में।

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