नेताजी के गुरुमंत्र से अखिलेश यादव हुए मजबूत !<br />अब स्पेशल फॉर्मूले से होगा बीजेपी पर प्रहार !<br />बीजेपी के कोर वोटर्स को सपा में जोड़ेंगा फॉर्मूला !<br />नेताजी के साथ मंत्रणा के बाद अखिलेश यादव सक्रिय !<br />सपा को मजबूती देने में नेताजी का मंत्र करेगा बड़ा असर !<br />अखिलेश यादव भी अब नेताजी की बातों पर कर रहे हैं अमल !<br />देखिए क्या है नेताजी का सुझाव और अखिलेश यादव का प्लान ? <br /><br />आगामी विधानसभा चुनावों में सपा की शत प्रतिशत जीत के लिए जितने सक्रिय अखिलेश यादव है उससे कहीं ज्यादा गंभीर नेताजी मुलायम सिंह यादव हैं…अब नेताजी सपा को मजबूती देने के लिए जहां अखिलेश यादव को वक्त वक्त पर सुझाव देते हैं वहीं सियासी रणनीति को कैसे मजबूती देनी है और कैसे विरोधियों के वोट बैंक में सेंध लगानी है वो सीक्रेट फॉर्मूले भी बताता हैं…नेताजी के सुझावों और फॉर्मूलों पर अमल करते हुए अखिलेश यादव भी सपा की नींव को मजबूत करने में लगे हैं…और अब एक और स्पेशल फॉर्मूले के साथ अखिलेश यादव सियासी मैदान में उतरने वाले हैं और सत्तापक्ष के साथ साथ अन्य विरोधी दलों को धोबी पछाड़ देने के लिए ये पहलवान पुत्र दंड पेल रहा है…खासकर अखिलेश यादव अब बीजेपी के खिलाफ मैदान में एक से बढ़कर एक फॉर्मूला अपनाकर उसे पटखनी देने का प्लान बना रहे हैं…प्रदेश के पूर्व मुखिया अखिलेश यादव मिशन 2022 फतह करने की रणनीति के तहत अब भारतीय जनता पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत में लग गए हैं…अपनी जमीन मजबूत करने के लिए वो सिर्फ अपने अनुभव ही नहीं, बल्कि सूबे की सियासत के पुराने सफल प्रयोगों को भी टटोल-खंगाल रहे हैं…और नेताजी से उनके बारे में राय भी लेते रहते हैं…मुस्लिम-जाटव के साथ ब्राह्मणों को हाथी पर सम्मानपूर्वक बैठाकर सत्ता के सिंहासन पर जिस तरह बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती पहुंची थीं…अपनी साइकिल के लिए वैसी ही जगह बनाने की कोशिश करते अब अखिलेश दिख रहे हैं…आगामी विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण नेताओं को ज्यादा टिकट देने की रणनीति बनाकर वो भी 'सोशल इंजीनियरिंग' के प्रयोग में जुट गए हैं…सियासी मैदान में कई दिग्गजों के दांव परास्त कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत के झंडाबरदार अखिलेश यादव दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए मिशन-2022 में जुट गए हैं…ऐसे में अब वो अपनी पार्टी की ताकत खुद बढ़ा लेना चाहते हैं…दरअसल, सपा के पास यादव-मुस्लिम का मजबूत वोटबैंक उसी तरह है, जैसे मायावती के पास मुस्लिम-जाटव वोट हुआ करता था…इधर, अखिलेश यादव ये भी देख-समझ चुके हैं कि सवर्णों के बेस वोट के साथ अनुसूचित और पिछड़ों में बड़ी सेंध लगाकर बीजेपी किस तरह मजबूत हुई…सियासी गलियारों में बीजेपी सरकार से ब्राह्मणों की नाराजगी के चर्चे खूब हैं…ऐसे में सपा अध्यक्ष की नजर प्रभावशाली ब्राह्मण नेताओं पर जा टिकी है…अंदरखाने कई नेताओं को साइकिल की सवारी कराने की तैयारी चल रही है…साथ ही वो ये भी संकेत दे चुके हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव में अच्छी संख्या में ब्राह्मण नेताओं को प्रत्याशी बनाया जाएगा…दल के ब्राह्मण नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में मजबूती से जुटने के लिए कहा गया है…भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाने की होड़ तो इस मुहिम की शुरुआत भर थी…सपा मान रही है कि कोरोना की महामारी ने व्यापार को भी काफी चौपट किया है…सरकार से इस वर्ग की भी नाराजगी है…ऐसे में ब्राह्मणों के साथ ही वैश्य को भी आसानी से अपने पाले में खींचा जा सकता है…हालांकि, ये वर्ग बीजेपी का मजबूत समर्थक माना जाता रहा है…अखिलेश ने वैश्यों को जोड़ने की जिम्मेदारी सम