या इलाही या इलाही या इलाही एक हंसीना ने मचाई है तबाही ... रफी साहब का एक मजेदार, मस्ती भरा और नायाब अनपब्लिश्ड गीत जो फिल्म में नहीं था..<br />Dr. O.P. Verma<br />M.B.B.S., M.R.S.H.(London)<br />Budwig Wellness<br />7-B-43, Mahaveer Nagar III, Kota Raj. 324005 <br />https://goBudwig.com<br />Mobile 9460816360<br />डॉ. जोहाना बडविग का कैंसररोधी आहार–विहार <br />डॉ जोहाना बडविग (जन्म 30 सितम्बर, 1908 – मृत्यु 19 मई 2003) विश्व विख्यात जर्मन बायोकैमिस्ट और चिकित्सक थी। उन्होंने फिजिक्स, बायोकैमिस्ट्री तथा फार्मेसी में मास्टर और नेचुरापेथी में पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की । वे जर्मन सरकार के फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ फैट्स रिसर्च में सीनियर एक्सपर्ट थीं। उन्होंने फैट्स और कैंसर उपचार के लिए बहुत शोध किए। <br /><br />कैंसर के मुख्य कारण की खोज 1931 में डॉ. ओटो वारबर्ग ने कर ली थी। जिसके लिये उन्हें नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया। उन्होंने अपने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि यदि सामान्य कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति 48 घन्टे के लिए 35 प्रतिशत कम कर दी जाए तो वह कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। सामान्य कोशिकाएँ अपनी जरूरतों के लिए ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऊर्जा बनाती है, लेकिन ऑक्सीजन के अभाव में कैंसर कोशिकाएं ग्लूकोज को फर्मेंट करके ऊर्जा प्राप्त करती हैं। विदित रहे कि यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व संभव ही नहीं है। हमारे शरीर की ऊर्जा ए.टी.पी. है और ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोज के एक अणु से अड़तीस ए.टी.पी. बनते हैं, लेकिन फर्मेंटेशन से सिर्फ दो ए.टी.पी. प्राप्त होते हैं। वारबर्ग और अन्य शोधकर्ता मान रहे थे कि कोशिका में ऑक्सीजन को आकर्षित करने के लिए दो तत्व जरूरी होते हैं, पहला सल्फरयुक्त प्रोटीन जो कि पनीर में पाया जाता है और दूसरा कुछ फैटी एसिड्स जिन्हें कोई पहचान नहीं पा रहा था। वारबर्ग भी इस रहस्यमय फैट को पहचानने में नाकामयाब रहे। आप नोबलप्राइज डॉट ऑर्ग पर जाइये, सारे सत्य आपके सामने आ जाएंगे। <br /><br />कोशिका में ऑक्सीजन को आकर्षित करने के लिए जरूरी दोनों तत्व मालूम हो चुके थे। फिर क्या था बडविग ने सीधे 640 कैंसर के मरीजों के ब्लड सेम्पल्स लिए और मरीजों को अलसी का तेल तथा पनीर मिला कर देना शुरू कर दिया। तीन महीने बाद फिर उनके ब्लड सेम्पल्स लिए गए। नतीजे चौंका देने वाले थे। बडविग द्वारा एक महान खोज हो चुकी थी। कैंसर के इलाज में सफलता की पहली पताका लहराई जा चुकी थी। लोगों के खून में फोस्फेटाइड और लाइपोप्रोटीन की मात्रा काफी बढ़ गई थी और मरीजों का हीमोग्लोबिन बढ़ गया था। कैंसर के रोगी ऊर्जावान और स्वस्थ दिख रहे थे और उनकी गांठे छोटी हो गई थी। उन्होने अलसी के तेल और पनीर के जादुई और आश्चर्यजनक प्रभाव दुनिया के सामने सिद्ध कर दिए थे। इस तरह जोहाना ने अलसी के तेल और पनीर के मिश्रण और स्वस्थ आहार विहार को मिला कर कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था, जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से विख्यात हुआ। वे1952 से 2002 तक कैंसर के हजारों रोगियों का उपचार करती रहीं। उन्हें हर तरह के कैंसर में 90 प्रतिशत प्रामाणिक सफलता मिली।. <br /> बडविग उपचार से डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, आर्थराइटिस, हार्ट अटेक, अस्थमा, डिप्रेशन आदि बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। वे भी पूरी दुनिया का भ्रमण करती थीं। अपनी खोज के बारे में व्याख्यान देती थी।