सिंघेश्वर राय सन् 75 से ही यह गीत गा रहे हैं. वह मूलतः घटवार हैं, लेकिन भजन-कीर्तन में उनका मन खूब रमता है. 1995 में उन्होंने 18 हजार रुपये अपनी जेब से खर्च कर 13 लोगों की एक कीर्तन-मंडली तैयार की थी. <br /><br />कोसी की दो धाराओं से घिरे सुपौल के खोखनाहा गांव में झोपड़ीनुमा घर में रहनेवाले 76 साल के सिंघेश्वर राय इस गाने को डूबकर गाते हैं. गीत के माध्यम से वह बताने की कोशिश करते हैं कि तटबंध बनने से पहले कोसी की कोख में रहनेवाले लोगों की जिंदगी क्या थी और अब क्या है. सुनें कोसी क्षेत्र का यह शोकगीत.
