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सारांश: समय की धारा के विपरीत धारा 377

2021-11-10 0 Dailymotion

1862 में भारतीय दंड संहिता के लागू होने के साथ ही धारा 377 भी<br />अस्तित्व में आई. उस वक्त देश में ब्रितानी हुकूमत थी और<br />समलैंगिकता को अनैतिक कृत्य माना जाता था. इसकी एक वजह उस<br />समय के सत्ताधारी अंग्रेजों की धार्मिक मान्यता भी थी. ईसाई धर्म में<br />समलैंगिकता को अनैतिक माना जाता है. लेकिन 1967 में ही ब्रिटेन<br />अपने यहां समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दे चुका है. और हमारे<br />यहां उन्हीं अंग्रेजों का बनाया हुआ क़ानून आज भी लागू है. इसके<br />कारण एक बड़ा अपने साथ अन्याय महसूस कर रहा है. अभी इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.

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