बीता हफ़्ता बहुत सारी घटनाओं का साक्षी रहा है. इस हफ़्ते की चर्चा तब आयोजित हुई, जबकि चुनावी सरगर्मियां चरम पर थीं और पहले चरण के चुनाव में हफ़्ते भर से भी कम वक़्त रह गया था. इस हफ़्ते की चर्चा में ‘टाइम मैगज़ीन’ द्वारा पेशे का जोख़िम उठा रहे पत्रकारों की सूची में इस बार हिंदुस्तान की स्वतंत्र पत्रकार राना अयूब का नाम दर्ज़ करने व पेशे में पत्रकारों के लिए लगातार बने हुए खतरों, देशभर में महिलाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं पर विस्तार से बात करती ऑक्सफेम इंडिया की रिपोर्ट, राहुल गांधी द्वारा पहली दफ़ा दो जगहों से लोकसभा चुनाव लड़ने, कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणापत्र व आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाओं पर चर्चा के क्रम में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक, जिसमें अभिनेता विवेक ओबेरॉय उनका किरदार निभा रहे, पर चर्चा की गयी.<br /><br />चर्चा में इस बार वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी ने शिरकत की. साथ ही लेखक-पत्रकार अनिल यादव व न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.<br /><br />कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणापत्र से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल ने कहा कि कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में शिक्षा व कृषि के क्षेत्र के लिए किए गये वायदों, अलग से कृषि बजट जारी करने व ‘न्याय’ योजना जिसमें देश में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे पांच करोड़ परिवारों को 6000 रुपये की मासिक आर्थिक मदद की बात कही गयी है. अतुल ने इसी में अपनी बात जोड़ते हुए कहा कि इन सबको ध्यान में रखते हुए अगर चुनावी घोषणापत्र पर गौर करें तो इसमें समाजवादी रुझान की झलक मिलती है, साथ ही इसमें उस लीक से थोड़ा हटकर चलने का प्रयास भी देखने को मिलता है, जिसका निर्माण ऐसे समय में हुआ जब बाज़ारवाद ने अर्थव्यवस्था को अपनी पकड़ में ले लिया है, इस संबंध में आपकी क्या राय है?<br /><br />जवाब देते हुए हृदयेश जोशी ने कहा- “आपने सोशलिस्ट शब्द का इस्तेमाल किया. यहां मूल बात समझने की ये है कि शुरुआत से ही पार्टियों का और ख़ास तौर पर कांग्रेस पार्टी का ये अनुभव रहा है कि जब-जब वो अपनी इस सोशलिस्ट लाइन से हटी है, उसका जनाधार बुरी तरह खिसका है. अगर आप कुछ वक़्त पहले अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ के इंडियन एक्सप्रेस में छ?