इस हफ्ते एक बार फिर से टिप्पणी में धृतराष्ट्र-संजय संवाद की वापसी हो रही है. धृतराष्ट्र का मन कुछ उचाट सा था. किसी अनहोनी की आशंका से घिरे हुए थे. उन्होंने संजय से पूछा- “बहुत दिनों से जम्बुद्वीप की कोई खबर नहीं आई. डंकापति के हाल कैसे हैं संजय.”<br /><br />इसके अलावा इस हफ्ते खबरिया चैनलों की दुनिया में एक शानदार दंगल का आयोजन हुआ. #RepublicTV वाले #ArnabGoswami के खिलाफ अन्य चैनलों ने खुला युद्ध छेड़ दिया है. इस दंगल से आपको कुछ समझ नहीं आएगा कि यह जनहित की पत्रकारिता के लिए हो रही लड़ाई है, यह खबरों की गुणवत्ता में एक दूसरे आगे निकलने की होड़ है या कुछ और. असल में यह लड़ाई कुछ चैनलों के संपादकों के अहंकार की लड़ाई है. यह लड़ाई असल में #Advertisement की मलाई की लड़ाई है. इस लड़ाई में न तो आपकी बात है न आपका हित है. फिर भी उसे प्राइम टाइम पर सारी खबरों को दरकिनार करके आपको दिखाया जा रहा है. पत्रकारिता की मूल शर्त है उसका जनहित, लोकतांत्रिक और संविधान सम्मत होना. यह तभी संभव है जब इसमें आप खुद योगदान करें. न्यूज़लॉन्ड्री ऐसा ही प्रयास है. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें मेरे खर्च पर आजाद हैं खबरें.<br /><br />Sign up for our all-new media newsletter: https://bit.ly/StopPressNewsletter<br /><br />Support independent media and subscribe to Newslaundry: http://bit.ly/NLTippani<br /><br />To watch this and many more videos, click on http://www.newslaundry.com/<br /><br />Follow and engage with us on social media:<br />Facebook: https://facebook.com/newslaundry<br />Twitter: https://twitter.com/newslaundry<br />Instagram: https://instagram.com/newslaundry