इस सप्ताह एनएल चर्चा में जो विषय शामिल हुए उनमें सबसे महत्वपूर्ण रहा हिंदी दिवस के बहाने भाषाओं की राजनीति पर चर्चा. मीडिया उद्योग में मंदी का दौर और लगातार नौकरियों से हाथ धो रहे पत्रकार भी इस बार चर्चा का विषय बने. वहीं उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक लड़की ने बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द पर बलात्कार का आरोप लगाया है. रेल मंत्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने हाल में अर्थव्यवस्था को लेकर जो बयान दिए वह सवाल खड़ा करता है कि देश की अर्थव्यवस्था का बागड़ोर जिनके हाथों में हैं वे कितने गंभीर और योग्य लोग हैं. चरंचा के अंत में अनिल यादव ने मशहूर हिंदी लेखक मुक्तिबोध की कविता का पाठ किया.<br /><br />''एनएल चर्चा’’ में इस बार के मेहमान थे पत्रकार-लेखक अनिल यादव और डोचे वैले के संपादक चारू कार्तिकेय. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.<br /><br />चर्चा की शुरुआत अतुल चौरसिया ने हिंदी दिवस से की. अतुल ने कहा कि उड़ीसा के पूर्व सांसद तथागत सत्पथी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर हिंदी पखवाड़े की एक तस्वीर शेयर करते हुए भाषा की राजनीति पर सवाल किया. उन्होंने लिखा कि ये हिंदी पखवाड़ा क्या है? कायदे से इस तरह के काम या टेक्स पेयर का जो पैसा है इसका इस्तेमाल उन तमाम भाषाओं के विकास पर किया जाना चाहिए जो की वास्तव में संकट में हैं. वहीं एक दूसरा तबका है जिसका मानना है कि हिंदी देश की राजभाषा है. अभी भी उसको वो स्थान नहीं मिला है जिसकी वो हकदार है?<br /><br />भाषा की राजनीति को लेकर अनिल यादव ने कहा, “भाषा अपने आप में कोई खास चीज है, मैं ऐसा नहीं मानता. मेरा मानना है कि भाषा, कहने का माध्यम है. जो कुछ भी आप दुनिया से कहना चाहते हैं. तो सवाल ये की आपके भाषा की मूल्य और उसकी कीमत उतनी ही होती है जितनी कीमती बात आप दुनिया से कहते है. सवाल यही है कि दुनिया से हिंदी इन दिनों क्या कह रही है. वो फिक्शन के मामले में, नॉन फिक्शन के मामले में, विज्ञान के मामले में, राजनीति के मामले में नया क्या कह रही है. जवाब है कि वो बहुत पिटी पिटाई बात कह रही है. यह हिंदी समाज का संकट है. चूंकि हमारे समाज में कुछ नया नहीं हो रहा है. और हमारे समाज में जो सबसे पुराना राजनीति का तरीका था, धर्म के आधार पर राजनीति करने का वो फिर ?
