वीडियो जानकारी: विश्रांति शिविर, 09.05.2020, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत<br /><br />प्रसंग:<br />देहेन्द्रियप्राणमनश्चिदात्मनां द<br />सड्भादजस्त्र परिवर्तते धिय: ।<br />वृत्तिस्तमोमूलतयाज्ञलक्षणा<br />यावद्धवेत्तावदसौ भवोद्धव: ॥ ३१॥<br /><br />बुद्धि की वृत्ति ही देह, इन्द्रिय, प्राण, मन और चेतन आत्मा के संघातरूप से निरन्तर परिवर्तित होती रहती है। यह वृत्ति तमोगुण से उत्पन्न होनेवाली होने के कारण अज्ञानरूपा है और जबतक यह रहती है, तब तक ही संसार में जन्म होता रहता है। <br />~(रामगीता, श्लोक-34)<br /><br />~ अपनी बुद्धि को कैसे तीव्र करें? <br />~ क्या बुद्धि सत्य को जान सकती है?<br />~ आध्यात्म में तर्क का कितना महत्व है? <br />~ बुद्धि क्या है?<br />~ क्या बुद्धि प्रकृति मात्र है?<br />~ बुद्धि की उपयोगिता कहाँ तक है? <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~