वीडियो जानकारी: <br /><br />प्रसंग:<br /><br />न विक्षेपो न चैकाग्र्यं नातिबोधो न मूढता।<br />न सुखं न च वा दुःखं उपशान्तस्य योगिनः ॥१०॥<br />भावार्थ:<br />अपने स्वरुप में स्थित होकर शांत हुए तत्वज्ञ के लिए न विक्षेप है,<br />और न तो एकाग्रता। न ज्ञान है, न सुख है न दुःख।<br /><br />~ ज्ञानी की क्या पहचान है?<br />~ अपने स्वरूप में कैसे स्थित हो सकते हैं?<br />~ तत्त्वज्ञ कौन है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~