वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 22.12.2017, अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा, भारत <br /><br />प्रसंग:<br />~परमात्मा कौन है?<br />~परमात्मा का पता कैसे लगता है?<br />~परमात्मा कहाँ है?<br />~मन चिंताओं से क्यों घिरा रहता हैं?<br />~मन को कब शांति मिलेंगी?<br />~परमात्मा में विश्वास कैसे हो?<br />~परमात्मा का क्या हुक्म है? <br />~सत्यथ होकर कैसे जीये?<br />~मन के माध्यम से परमात्मा क्या सिखाना चाहता है?<br />~हमें दुःख इतना क्यों सताता है?<br /><br />हे प्रिय मित्र! यह विधाता, चतुर कुम्हार की तरह विपत्तिरुपी<br />दंड के मार्ग की परम्परा से अत्यंत चंचल, चिन्तारूपी चक्र<br />पर मिट्टी के पिंड की तरह मेरे मन को घुमाता रहता है, हम<br />नहीं जानते कि वह इससे क्या बनाना चाहता है।<br />~ वैराग्य शतकम्, श्लोक संख्या ८३<br /><br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~