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सर, दूसरों का सोचूँगा तो मुक्ति कैसे होगी? || आचार्य प्रशांत (2023)

2024-02-06 16 Dailymotion

वीडियो जानकारी: 17.11.2023, बोध प्रत्यूषा, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग: <br /><br />~ जहाँ रुकने का खतरा होता है, वहाँ आप स्वयं ही अपनी संवेदनशीलता रोक देते है।<br />~ संवेदनशीलता का अर्थ होता है हर अनुभव से सूक्ष्मता से गुजरना।<br />~ जब भीतर ताकत होती है स्वास्थ्य होता है केवल तभी व्यक्ति संवेदनशील हो पाता है।<br />~ सब अनुभवों के प्रति उन्मुक्त खुलापन तभी होता है जब भीतर आप जान चुके हों कि अब आपको बाहर कोई हिला सकता नहीं।<br />~ संवेदनशीलता का अर्थ भोग नहीं होता।<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~

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