Surprise Me!

गृहस्थ व्यक्ति दूसरों को गृहस्थी बसाने की सलाह क्यों देता है?|| आचार्य प्रशांत, परमहंस गीता पर(2020)

2024-06-25 0 Dailymotion

‍♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br />⚡ आचार्य प्रशांत से जुड़ी नियमित जानकारी चाहते हैं?<br />व्हाट्सएप चैनल से जुड़े: https://whatsapp.com/channel/0029Va6Z...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br /> आचार्य प्रशांत के काम को गति देना चाहते हैं?<br />योगदान करें, कर्तव्य निभाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/contri...<br /><br /> आचार्य प्रशांत के साथ काम करना चाहते हैं?<br />संस्था में नियुक्ति के लिए आवेदन भेजें: https://acharyaprashant.org/hi/hiring...<br /><br />~~~~~~~~~~~~~<br /><br />वीडियो जानकारी:<br />पार से उपहार शिविर, 19.04.20, ग्रेटर नॉएडा, भारत<br /><br />प्रसंग: <br />क्वचिद्‌ गृहाश्रमकर्मचोदनातिभरगिरिमारुरु क्षमाणो<br />लोकव्यसनकर्षितमना: कण्टकाशर्कराक्षेत्र प्रविशन्निवसीदति॥ १८॥<br /><br />गृहस्थाश्रम के लिये जिस कर्मविधिका महान्‌ विस्तार किया गया है, उसका अनुष्ठान किसी पर्वतकी कड़ी चढ़ाई के समान ही है। लोगों को उस ओर प्रवृत्त देखकर उनकी देखा-देखी जब यह भी उसे पूरा करने का प्रयत्न करता है, तब तरह-तरह की कठिनाइयों से क्लेशित होकर काँटे और कंकड़ों से भरी भूमि में पहुँचे हुए व्यक्ति के समान दुःखी हो<br />जाता है॥ १८॥ <br /><br />~ परमहंस गीता (अध्याय ५, श्लोक १८ )<br /><br />~ हमारे दुःख के कारण क्या है?<br />~ गृहस्थ जीवन में दुःख क्यों पाते है?<br />~ हम अपने दुःख को स्वीकार क्यों नहीं करते है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~~~

Buy Now on CodeCanyon